अनुसूचित जाति, जनजाति वर्ग के आर्थिक विकास में निगम की अंत्योदय स्वरोजगार योजना एवं आदिवासी स्वरोजगार योजना के योगदान का मूल्यांकन
(राजनांदगांव जिले के विशेष संदर्भ में)
श्रीमती युगेश्वरी साहू1, डाॅ. के. एल. टांडेकर2
1शोधार्थी शास. दि. स्ना. महा. राजनांदगांव (छ.ग.)
2शोध निर्देशक (प्राचार्य) शास. डाॅ. बाबा साहेब अम्बेडकर महा. डोंगरगांव, राजनांदगांव (छ.ग.)
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शोध सारांशरू-
जाति एवं जनजाति समुदाय समूचे देश में यहाँ-वहाँ फैले हुआ है परन्तु इनकी जनसंख्या का लगभग एक चैथाई भाग अकेले छŸाीसगढ़ में निवास करते हैं। इसी राज्य के राजनांदगांव जिले में भी इनकी संख्या अधिक है इनके इतिहास तथा वर्तमान स्थिति पर एक विहंगम दृष्टि डाले तो ज्ञात होता है कि संविधान सहित विभिन्न आयोगो एवं निगमों के माध्यम से इनके आर्थिक एवं सामाजिक कल्याण के कार्य किये गये हैं। उसी में से है छŸाीसगढ़ राज्य अंत्यावसायी सहकारी विŸा एवं विकास निगम जिसमें इन वर्गो के आर्थिक विकास में महत्वपूर्ण भूमिका अदा की है। इनकी दो योजनाओं का विश्लेषण इस अध्ययन में किया गया है।
कुँजी शब्दरू-
प्रस्तावनाः-
भारतीय समाज की एक बड़ी समस्या अनुसूचित जाति एवं जनजाति के सर्वांगीण विकास की रही है। जिसमें सामाजिक, आर्थिक, शैक्षणिक, बौद्धिक राजनीतिक एवं अन्य पहलू शामिल है। इन्ही समस्याओं मे से प्रमुख समस्या आर्थिक समस्या रही है। जो इन वर्गो के विकास में बहुत बड़ी बाधा है। इसी समस्या को ध्यान में रखते हुए अंत्यवसायी विŸा एवं विकास निगम की दो प्रमुख बैंक परिवर्तित योजना का क्रियान्वयन राजनांदगांव जिले सहित सम्पूर्ण राज्य में किया जा रहा है। जिसके माध्यम से इन वर्गो की स्थिति में सुधार लाया जा सके। स्वतंत्रता के पश्चात् अनुसूचित जातियों एवं जनजातियों के आर्थिक समस्याओं के निराकरण के उपायो की विस्तृत विवेचना करने के पूर्व अनुसूचित जाति के वास्तविक अर्थ को समझाना अति आवश्यक है। भारतीय समाज के रचना में जाति एवं जनजातियों की प्रमुख भूमिका रही है। इन वर्गो का समाज को नई दिशा देने में महत्वपूर्ण योगदान रहा है। इसीलिए इन वर्गो के विकास के लिए भारतीय संविधान में भी कई प्रावधान किये गये है। निगम के अलावा भी अन्य आयोग एवं संगठन इनके सर्वांगीण विकास के लिए कार्य कर रहें है। उसमें छŸाीसगढ़ राज्य अंत्यावसायी सहकारी विŸा एवं विकास निगम की भूमिका महत्वपूर्ण है।इस भूमिका को ध्यान में रखते हुए ही इसके मूल्यांकन की आवश्यकता पड़ी कि क्या सही में ऐसा संभव हुआ है।
उद्देश्यः-
1ण् निगम की योजनाओं का जिले की अनुसूचित जाति व जनजाति वर्ग पर क्या प्रभाव रहा का विश्लेषण करना।
2ण् जिले में इन दोनो वर्गो के आर्थिक विकास का समयानुसार मूल्यांकन करना।
परिकल्पनाः-
1ण् निगम की अंत्योदय स्वरोजगार योजना से अनुसूचित जनजाति वर्ग का आर्थिक विकास संभव हुआ।
2ण् निगम की आदिवासी स्वरोजगार योजना के तहत अनुसूचित जनजाति के लोगो को अनुदान राशि उपलब्ध करायी गई। जिससे उनका आर्थिक विकास संभव हो पाया।
3ण् इन वर्गो की आर्थिक स्थिति में सकारात्मक सुधार संभव हुआ।
शोध प्रविधिः-
प्रस्तुत अध्ययन में निगम की दो योजनाओं का अध्ययन एवं विश्लेषण के लिए संबंधित वर्गो के संदर्भ में द्विŸाीयक आंकड़ो का संकलन व विश्लेषण हेतु विभिन्न सांख्यिकीय तकनीकीमे से कुछ तकनीकियों का प्रयोग किया गया। जो अध्ययन की सार्थकता को बनाये रखे। आंकड़ों के माध्यम से स्पष्ट किया गया जिससे अध्ययन की सार्थकता बनी है एवं प्रतिशत व औसत का उपयोग किया गया।
अध्ययन क्षेत्रः-
छ.ग. के पश्चिम में स्थित राजनांदगांव जिले का निर्माण 26 जनवरी 1973 को हुआ। जिसकी कुल भौगोलिक सीमा 8023 वर्ग कि.मी. है। जिसमें कुल नौ विकासखण्ड है। जिसकी कुल जनसंख्या 1537133 (जनगणना 2011) है। जिसमें पुरूष 762855 लाख तथा महिला 774278 लाख, है जो पुरूषो से 11423 हजार ज्यादा है, जिले में प्रति हजार पुरूषों में 1013 महिलाएँ है, यहाँ कुल साक्षर दर 75.96 प्रतिशत है। महिला साक्षरता दर 66.70 प्रतिशत है जो पुरूषों से कम है। यहां ग्रामीण जनसंख्या शहरी जनसंख्या की 4 गुणी है। जिले में अनुसूचित जाति की कुल जनसंख्या 156623 लाख है। जिसमें पुरूषों की 76979 तथा महिलाओं की संख्या 79644 हजार है जो पुरूषों की अधिक है। कुल जनसंख्या का 10.19 प्रतिशत अनुसूचित जाति वर्ग निवासरत है। इसी प्रकार 405194 लाख अनुसूचित जनजाति की जनसंख्या है। जिसमें पुरूषों की कुल संख्या 198032 लाख एवं महिलाओं की संख्या 207162 जो पुरूषों से ज्यादा है।
जिले में निगम द्वारा संचालित योजनाएँ - जिले में निगम द्वारा कई योजनाएं संचालित की जा रही है। अध्ययन हेतु उनमें से दो योजनाओं को लिया गया जो निम्न प्रकार है-
1. अंत्योदय स्वरोजगार योजनाः-
इस योजना का क्रियान्वयन अनुसूचित जाति को बैंक से ऋण दिलाने हेतु किया जाता है। इस योजना में बैंक द्वारा स्वीकृत ऋण का 50 प्रतिशत या अधिकतम 10,000रू. तक जो भी कम हो अनुदान राशि दी जाती है। ऋण इकाई लागत की अधिकतम सीमा नही है, विभिन्न प्रकार की आयजनित योजनाएँ जैसे किराना, मनिहारी, सेलून, पार्लर, मुर्गीपालन, बकरीपालन आदि आयजनित व्यवसाय है। ऋण पर बैंक द्वारा बैंक के नियमानुसार ब्याज दर लिया जाता है। ऋण की अदायगी बैंक के नियमानुसार होती है, एवं अनुदान राशि का समायोजन अन्त में किया जाता है। यह अनुसूचित जाति के आर्थिक विकास हेतु महत्वपूर्ण कल्याणकारी योजना है।
तालिका क्रमांक 1 जिले में अंत्योदय स्वरोजगार योजना के आंकड़े वर्ष 2010-11 से 2016-17 तक (राशि लाख में)
क्र. वर्ष लक्ष्य उपलब्धि उपलब्धि का प्रतिशत (लगभग)
स्त्रोत- जिला अंत्यावसायी सहकारी विŸा एवं विकास निगम, राजनांदगांव
उपरोक्त आंकड़ों में जिले में अंत्योदय स्वरोजगार योजना के छः वर्ष के लक्ष्य व उपलब्धि को वर्षवार दर्शाया गया है जो यह इंगित करता है कि जिले में इससे कितने प्रतिशत अनुसूचित जाति वर्ग के लोगो ने इस योजना का लाभ उठाकर स्वरोजगार की ओर कदम बढ़ाया। वर्ष 2016-17 में उपलब्धि का प्रतिशत 74 है, जो अन्य वर्षो की तुलना में अधिक है, जबकि वर्ष 2015-16 में उपलब्धि का प्रतिशत 48 है, जो अन्य वर्षो की तुलना में सबसे कम है इसका यह कारण प्रतीत होता है कि इस वर्ष लोगो ने ऋण लेने में रूचि नही दिखाई। इस प्रकार पिछले छः वर्षो में कुल लक्ष्य में उपलब्धि का प्रतिशत 66 रहा है जिसमें कुल 618 हितग्राहियों में इसका लाभ उठाया।
1. आदिवासी स्वरोजगार योजनाः-
इस योजना का क्रियान्वयन अनुसूचित जनजाति के लोगो को बैंक द्वारा ऋण दिलवाने हेतु किया जाता है। जिससे इन वर्गो के लोगो का आर्थिक विकास हो सकें। इस योजना में केन्द्र परिवर्तित अनुदान योजना की तरह छ.ग. शासन से विŸा पोषित आदिवासी विकास प्राधिकरण की अनुदान मद के अंतर्गत अनुसूचित जनजाति के हितग्राहियों को बैंको द्वारा ऋण उपलब्ध कराया जाता है। योजनांतर्गत बैंक द्वारा स्वीकृत ऋण का 50 प्रतिशत या अधिकतम 10,000 रूपये जो भी कम हो अनुदान राशि दी जाती है। ऋण स्वीकृत कराने हेतु विभिन्न प्रकार की आयजनितव्यवसाय यथा-किराना, मनिहारी, ब्यूटी पार्लर, टी.वी., मोबाईल रिपेरिंग, टेलरिंग, कपड़ा आदि हो सकते है या स्थानीय परिस्थिति अनुसार अन्य आवश्यकताजनित व्यवसाय भी हो सकता है। किसी भी व्यापार व्यवसाय एवं उद्योग के लिए इकाई लागत न्यूनतम राशि 50,000 होगी अधिकतम ऋण का कोई बंधन नही है। दिये हुए ऋण पर बैंक के नियमानुसार ब्याज दर लिया जाता है। इसमें भी अनुदान राशि का समायोजन अन्त में किया जाता है।
तालिका क्रमांक 2 जिले में आदिवासी स्वरोजगार योजना के आंकड़े (वर्ष 2010-11 से 2016-17 तक) (राशि लाख में)
क्र. वर्ष लक्ष्य उपलब्धि उपलब्धि का प्रतिशत (लगभग)
स्त्रोत -जिला अंत्यावसायी सहकारी विŸा एवं विकास निगम, राजनांदगांव
उपरोक्त आंकड़ों में जिले में आदिवासी स्वरोजगार योजना के पिछले छः वर्षो के आंकड़े लिये गये है जो वर्ष 2010-11 से 2016-17 तक के हैं। इसमें निगम द्वारा आदिवासी स्वरोजगार योजना के अंतर्गत लक्ष्य एवं उपलब्धि को वर्षवार दर्शाया गया है जिसमें वर्ष 2014-15 में अन्य वर्षो की तुलना में उपलब्धि का प्रतिशत सर्वाधिक 95 प्रतिशत रहा, जबकि वर्ष 2010-11 में लक्ष्य की तुलना में उपलब्धि का प्रतिशत सर्वाधिक 72 प्रतिशत रहा वर्ष 2014-15 एवं 2015-16 में उपलब्धि 90 प्रतिशत या उससे अधिक रही जबकि वर्ष 2010-11, 2011-12, 2012-13 एवं 2016-17 में उपलब्धि 70 प्रतिशत या उससे अधिक रही। इस अनुदान राशि के कारण हितग्राहियों को आसानी से ऋण उपलब्ध हो जाता है इस कारण भी इस योजना का लाभ हितग्राही अधिक से अधिक उठाकर स्वयं कोस्वरोजगार से जोड़ रहे हैं एवं अपना आर्थिक विकास कर रहें हैं।
निष्कर्षः-
निष्कर्ष रूप में यह कहा जा सकता है कि जिन्हे अंत्यावसायी विŸा एवं विकास निगम ने अपनी होने वाली दोनो योजनाओं के माध्यम से इन वर्गो के स्वरोजगार एवं आर्थिक विकास में महत्वपूर्ण भूमिका अदा की है। जिससे इनके सामाजिक स्तर, शिक्षा एवं स्वास्थ्य की स्थिति में सुधार आया है। इन वर्गो के लोगो को अनुदान उपलब्ध करवाया गया है। तथा जिले के निवासरत अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति वर्ग पर इसका सकारात्मक प्रभाव पड़ा है। तालिका क्रमांक 1 से यह विदित हो रहा है कि अध्ययन क्षेत्र में कुल लक्ष्य की तुलना में उपलब्धि का प्रतिशत कुल 66 है जो ये इंगित करता है कि निगम से अनुसूचित जाति के लोगो को स्वरोजगार हेतु आर्थिक प्रोत्साहन दिया गया है। तथा वेविभिन्न प्रकार के लघु एवं कुटीर उद्योग से जुड़कर आत्मनिर्भर बन रहे हैं।
तालिका क्रमांक 2 से स्पष्ट हो रहा है कि अध्ययन क्षेत्र में आदिवासी स्वरोजगार योजना से कुल 81 प्रतिशत हितग्राहियों ने लाभ उठाकर छोटे बड़े व्यवसाय संचालित कर स्वरोजगार प्राप्त किया तथा आर्थिक रूप से सशक्त हुए है। अतः हम कह सकते है कि इन दोनो वर्गो के आर्थिक विकास में निगम की दोनो योजना का महत्वपूर्ण योगदान रहा है।
संदर्भ ग्रंथः-
1ण् थोराट, सुखदेव (2011)ः - भारत में दलित (सामान्य लक्ष्य की खोज), रावत पब्लिकेशन, जयपुर पृष्ठ सं. 02
2ण् आहुजा, राम (2012)ः - भारतीय सामाजिक व्यवस्था, रावत पब्लिकेशन, जयपुर पृष्ठ सं. 322
3ण् श्रीवास्तव, डाॅ. ए. पी. - समाजशास्त्र, आर. पी. यूनीफाईड
पब्लिकेशन, रामप्रसाद एण्ड संस।
4ण् छŸाीसगढ़ राज्य अंत्यावसायी सहकारी विŸा एवं विकास निगम, रायपुर की मार्गदर्शिका।
5ण् अंत्योदय स्वरोजगार योजना की मार्गदर्शिका।
6ण् आदिवासी स्वरोजगार योजना की मार्गदर्शिका।
7ण् जिला सांख्यिकीय पुस्तिका 2014।
Received on 09.06.2018 Modified on 15.06.2018
Accepted on 29.06.2018 © A&V Publication all right reserved
Int. J. Rev. and Res. Social Sci. 2018; 6(2): 190-193 .